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पोल्ट्री शुरू करने से पहले की जरूरतें. मुर्गी फार्म खोलने से पहले वैज्ञानिक जानकारी लेना अच्छा रहता है। इसके लिए कृषि महाविद्यालयों या कृषि विज्ञान केंद्र से ट्रेनिंग ली जा सकती है।ग्रोवेल की वेबसाइट पर मुर्गीपालन से संबंधित ढेर साडी किताबें और लेख प्रकाशित किये गयें हैं ,उसे पढ़ें और सुझवों को अमल करें .ये किताबें और लेख मुर्गीपालन से सम्बंधित बैज्ञानिकों द्वारा लिखें गयें हैं . फार्म शुरू करने से पहले बाजार की पूरी जानकारी ले लें। छोटे फार्म से शुरू करें और धीरे-धीरे बड़ा फार्म विकसित करें। चूजे हमेशा विश्वसनीय प्रमाणित हैचरी से ही लेने चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण है सही नस्ल का चुनाव। लेयर फार्म के लिए व्हाइट लैग हार्न और ब्रायलर के लिए व्हाइट कोर्निस या व्हाइट रॉक या फिर इनके क्रास अच्छे रहते हैं। पोल्ट्री फार्मिंग दो प्रकार की होती है- पहली लेयर फार्मिंग, जिसमें एक दिन के चूजे रखे जाते हैं। करीब पांच महीने बाद ये अंडे देने लगते हैं और एक साल अंडे लेने के बाद इन लेयर मुर्गियों को बेच दिया जाता है। लेयर के दाम बाजार में 26 से 30 रुपये प्रति किलोग्राम तक मिल जाते हैं। दूसरी प्रकार की पोल्ट्री फार्मिंग ब्रायलर फार्मिंग कहलाती है। इसमें मांस वाली किस्मों के एक दिन के चूजों को पाला जाता है। इन्हें 28 दिनों से 42 दिनों में बाजार में बेच दिया जाता है और इनका औसत वजन 1.6 किलोग्राम होता है। लेयर फार्म में आरंभिक पूंजी अधिक लगती है और आमदनी करीब छह महीने बाद शुरू होती है। परंतु ब्रायलर फार्मिंग की तुलना में यह सरल काम है। ब्रायलर फार्म से आरंभिक पूंजी कम लगती है और मुर्गी भी जल्दी तैयार हो जाती है, लेकिन रख-रखाव पर मेहनत अधिक और लाभ लेयर की तुलना में कम हैं। फार्म में छोटे पेड़ जैसे शहतूत, मौसमी, अमरुद आदि छाया के लिए लगाने चाहिए। लेयर में रानीखेत, गुम्बोरो आदि रोगों के टीके लगाने के साथ ही हिपेटाइटिस के टीके भी लगवाएं।